नोकरी करनेवाली महिलाएं हो रही हैं सुपरवुमन सिंड्रोम से पीड़ित, शोध में दावा- महिलाओं की जिंदगी में उथल-पुथल

Super Women Syndrome is More in Working Women’s according to Survey : जैसे-जैसे सुपर वुमन होने की अटकलें बढ़ती हैं, यह परेशानी में बदल जाती है। तब समस्या एक सिंड्रोम की तरह गंभीर हो जाती है। कामकाजी महिलाओं में यह समस्या अधिक गंभीर है। (Super Women Syndrome) 30 से 50 आयु वर्ग की 720 महिलाओं पर अध्ययन किया गया। सुपर वुमन सिंड्रोम उच्च स्तर के तनाव और व्यक्तिगत जरूरतों की उपेक्षा का कारण बनता है। थकान, चिंता, अवसाद, अनिद्रा और सिरदर्द कुछ परेशान करने वाले लक्षण हैं जो आमतौर पर इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों द्वारा अनुभव किए जाते हैं। महिलाएं अक्सर अपनी मल्टीटास्किंग क्षमताओं के लिए जानी जाती हैं, अक्सर उन्हें खुद इस पर गर्व होता है। लेकिन इस तरह का मल्टीटास्किंग उनके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से थका देने वाला होता है. (Super Women Syndrome is More in Working Women’s according to Survey).

आधुनिक दुनिया महिलाओं पर अत्यधिक दबाव डालती है क्योंकि वे पेशेवर जिम्मेदारियों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हैं। (Stress in Women) लक्ष्यों को प्राप्त करने और काम पर काम पूरा करने की चाहत, साथ ही परिवारों के प्रति प्रतिबद्धताएं, महिलाओं को अभिभूत महसूस करा सकती हैं और कभी-कभी उन्हें इसका एहसास भी नहीं होता है। आमतौर पर किसी भी उम्र की महिलाएं इस समस्या का शिकार हो सकती हैं। लेकिन इस समस्या का प्रचलन उन महिलाओं में अधिक है जो नौकरीपेशा हैं या सार्वजनिक-सामाजिक जीवन में सक्रिय रूप से शामिल हैं।

सर्वे करने वाली प्रोफेसर डिंपल रमानी ने कहा, सर्वे में शामिल 60 से 90 प्रतिशत महिलाओं में सुपरवुमन सिंड्रोम पाया गया। यह सर्वेक्षण सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित किया गया था। इसमें पाया गया कि 72 फीसदी कामकाजी महिलाओं को यह समस्या है. एक बिंदु पर महिलाओं को खुद से बहुत अधिक उम्मीदें होती हैं और अक्सर ये उन पर बिना एहसास के ही थोप दी जाती हैं। ऐसा महिलाओं की उस भावना के कारण होता है या पैदा होती है कि उन्हें हर चीज़ में परफेक्ट होना चाहिए।

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